Gunahon Ka Devta (गुनाहों का देवता) धर्मवीर भारती के द्वारा 1959 मे लिखी हिन्दी साहित्य की प्रतिष्ठित और कालजयी उपन्यास है। इस उपन्यास मे त्याग, प्रेम और आदर्शवाद का गजब समन्वय है। इस उपन्यास की प्रासंगिकता आज भी उतनी है, जितनी जिस समय इसे लिखा गया था। गुनाहों का देवता मे नायक और नायिका के द्वारा समाज मे व्याप्त रूढ़िवादी और सामाजिक बंदिशों को दिखाया गया है। इस उपन्यास मे प्रेम और त्याग का बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति किया गया है।
परिचय
- लेखक- धर्मवीर भारती।
- प्रकाशन- 1959
- शैली- प्रेम कथा, भावनात्मक उपन्यास
- प्रमुख विषय- प्रेम, त्याग, सामाजिक बंधन और आत्मसंघर्ष
गुनाहों का देवता किस बारे में है?

- Gunahon Ka Devta शारीरिक आकर्षण और सच्चा प्रेम के बारे मे गहराई से बताया गया है।
- गुनाहों का देवता सुधा और चंदर के बीच प्रेम कहानी का मार्मिक सजीव चित्रण किया गया है।
- समाज मे व्याप्त रूढ़िवाद और सामाजिक बंदिशों के ऊपर बात करता है।
- आदर्श प्रेम के बारे Gunahon Ka Devta प्रेम,त्याग और बलिदान के बारे मे बताती है। गहराई से बताता है।
- Gunahon Ka Devta प्रेम,त्याग और बलिदान के बारे मे बताती है।

मुख्य पात्रों का परिचय और उनका महत्व
- चंदर- इस कहानी का मुख्य पात्र जो की बहुत ही बुद्धिमान और संवेदनशील है।
- सुधा- इस कहानी की नायिका है। जिसमे प्रेम, त्याग और समर्पण कूट-कूट के भर है।
- बिनती- सुधा की बहन और चंदर से प्रेम भाव रखती है।
- पम्मी- आधुनिक लड़की है, मिलनसार और चंदर के प्रेम की प्यासी है।
- डॉ शुक्ला- सुधा के पिताजी और चंदर के मार्गदर्शक है, जो चंदर को पुत्रवत मानता है।
कहानी का सारांश – जब दिल और समाज आमने-सामने हों
चंदर डॉ शुक्ला बहुत का करीबी और शिष्य रहता है। वह डॉ शुक्ला को अपना मार्गदर्शक और पितातुल्य मानता है। चंदर अक्सर डॉ शुक्ला के घर आया जाया करता है। सुधा से वह बहुत ही स्नेह रखता है। उन दोनों के बीच अक्सर नोक-झोंक होते रहता है। चंदर, सुधा के साथ प्रेम को नहीं मानता लेकिन धीरे-धीरे एहसास होता है की सुधा ही उसका सच्चा प्रेम है।
सुधा, चंदर से निश्चल प्रेम करती है। वह हमेशा ही चंदर की आज्ञा का पालन करती है। जब सुधा के लिए शादी का रिश्ता आता है, तो वह तैयार नहीं रहती है। वह चंदर से सच्चा प्रेम करती है, और उसी के साथ अपना जीवन बिताना चाहती है।
लेकिन चंदर डॉ शुक्ला के एहसान तले दबे सुधा को अपनाने की हिम्मत नहीं कर पाता है। उसे लगता है, ऐसा करने से डॉ शुक्ला के साथ विश्वासघात होगा।चंदर सोचता वह कैसे भूल सकता है डॉ शुक्ला ही ने उसे अभिवावक की तरह पढ़ाया-लिखाया और समाज का एक सभ्य नागरिक बनाया। वह इतना निर्लज नहीं की सुधा के लिए डॉ शुक्ला द्वारा किए गए उपकार को भूल जाए और उसके साथ विश्वासघात करे। वह डॉ शुक्ला को किसी भी स्थिति मे दुखी नहीं करना चाहता, भले ही इसके लिए उसे अपने प्यार का न्यौछावर करना पड़े।
चंदर, सुधा को उसके इच्छा के विरुद्ध शादी के लिए मना लेता है। सुधा, चंदर के प्रति समर्पित है, और उससे इतना प्रेम करती है की, उसके आग्रह को मान लेती है और शादी के लिए तैयार हो जाती है। सुधा शादी कर अपने ससुराल चली जाती है। जहा वह खुश नहीं रह पाती है। दिनों-दिन सुधा का स्वास्थ्य खराब होता जाता है।
सुधा के जाने के बाद चंदर को पम्मी का साथ मिलता है। पम्मी, चंदर को अपना बनाना चाहती है। कुछ पल के लिए चंदर, पम्मी के साथ खो जाता है। उनके बीच शारीरिक संबंध भी होता है लेकिन चंदर को कुछ समय बाद एहसास होता है की सुधा ही उसका सच्चा प्यार है।
बेमन से चंदर के प्यार की वजह से शादी के लिए हा कहने वाली सुधा चंदर के प्यार को इतनी आसानी से कैसे भूल जाती। त्याग करते-करते वह थक कर हर जाती है। ससुराल में सुधा खुश नहीं रह पाती है और दिनों-दिन उसकी तबीयत बिगड़ती चली जाती है। सुधा की स्वास्थ्य कुछ ज्यादा ही खराब हो जाती है, और उसकी मृत्यु हो जाती है।
ध्रुव तारा के समान चमकने वाली सुधा हमेशा के लिए बुझ जाती है, और छोड़ जाती है निश्चल, निर्मल और निस्वार्थ प्रेम। चंदर इसके लिए अपने आप को दोषी मानता है। उसके पास पछतावा और पश्चयाताप की आग मे जलने के सिवाय कुछ भी नहीं रह जाता। वह सोचता है क्यों नहीं उसने इस सामाजिक बंदिशों को तोड़कर सुधा को अपना लिया।
“पुनर्जन्म झूठ है प्रिये, हम अनंतकाल के लिए बिछड़ गए।”- गुनाहों का देवता

निष्कर्ष
Gunahon Ka Devta प्रेम,त्याग और बलिदान के बारे मे बताती है। यह एक बेहद ही मार्मिक और भावनात्मक कहानी है। जहा सुधा और चंदर के माध्यम से सच्चा प्यार को शानदार तरीके से दिखाती है। धर्मवीर भारती Dharamvir Bharati की यह उपन्यास त्याग, प्रेम और बलिदान के समन्वय का सजीव चित्रण करता है। गुनाहों का देवता उपन्यास प्रेम और आकर्षण के बीच चुनाव करने का विकल्प देती है। यदि आप भी प्यार मे धर्म, जाती, सामाजिक और पारिवारिक बंदिशों मे फसे हुए हो, तो Gunahon Ka Devta अवश्य पढ़े।

अगर आपने कभी सच्चे प्यार के लिए कोई कुर्बानी दी है या सामाजिक बंदिशों से जूझे हैं, तो ‘गुनाहों का देवता’ आपकी कहानी कहती है। अभी पढ़ें यह कालजयी प्रेम कथा – और जानिए क्यों यह हर हिंदी साहित्य प्रेमी की बुकशेल्फ़ में होनी चाहिए!
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