The God of Small Things Book Review 2025 – अरुंधती रॉय के विरोध और प्रेम से भरे इस नोबेल को क्यों आज फिर से पढ़ा जा रहा है?

“The God Of Small Things” अरुंधती रॉय द्वारा लिखी पहली और सुप्रसिद्ध उपन्यास है। 1997 मे बूकर अवॉर्ड जीतने वाली यह उपन्यास केरल के पृष्ठभूमि पर लिखी गई है, जो वहा की सामाजिक सरंचना, लिंगभेद, जातिवाद और पारिवारिक संबंधों के उलझनों को बहुत ही गहरे और भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करती है।

आज 2025 जहा जातीय टकराव, सामाजिक अन्याय और वर्गभेद की नई समस्याओं से वापस दो-चार होना पड़ रहा है, ऐसे समय The God Of Small Things और भी प्रासंगिक हो गई है। यह उपन्यास उन छोटे-छोटे पलों के महत्व को याद दिलाती है जो जीवन में गहरे प्रभाव डालती है।

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The God Of Small Things

लेखक परिचय

अरुंधती रॉय सिर्फ एक लेखक ही नहीं बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक है। The God Of Small Things इनकी पहली उपन्यास है जिसने पूरे दुनिया में इनको पहचान दिल दी थी। इन्होंने उपन्यास लेखन के साथ पर्यावरण, मानवाधिकार और राजनीति पर कई लेख लिखी। रॉय की लेखन शैली बहुत ही बारीक, प्रतीकात्मक और चित्रात्मक है।

कहानी का सारांश

The God Of Small Things प्रमुखतः एसथा और राहेल नाम के जुड़वा भाई-बहन के आस-पास घूमती है, जो केरल के एक छोटे से कस्बे में अपने परिवार के साथ रहते है। उनका जीवन तब पूरी तरह से बदल जाता है जब उनका एक करीबी रिस्तेदार अंग्रेज चचेरी बहन सोफी मोल की मृत्यु हो जाती है। इस त्रासदी के बाद उनके परिवार की परम्पराएं, समाज के नियम और “क्या किया जा सकता है?और क्या नहीं ? की सीमाएं उजागर होती है।

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The God Of Small Things

प्रमुख पात्र

  • अम्मू – एसथा और राहेल की जो जीवन भर सामाजिक बंधनों से संघर्ष करती है।
  • वेलुथा– एक दलित बढ़ई जो इस उपन्यास की रीढ़ है।
  • बेबी कोंचम्मा – पारिवारिक सत्ता का प्रतिनिधित्व करती है, जिसकी ईर्ष्या और संकीर्ण सोच की वजह से कई घटनाए प्रभावित होती है।

मुख्य थीम्स और प्रतिकात्मकता

  • जातिवाद और सामाजिक व्यवस्था– वेलुथा का किरदार दिखाता है भारत मे दलितों के साथ कैसा व्यवहार किया गया है, और अब भी किया जा रहा है। The God Of Small Things दर्शाता है की एक अछूत के साथ प्यार कैसे पूरे परिवार की प्रतिस्ठा को प्रभावित करता है।
  • लव लाज (love laws)– The God Of Small Things बार-बार यह सवाल करता है की “कौन किससे कितना प्यार कर सकता है?” यह लाइन इस पुस्तक की आत्मा है। परिवार द्वारा तय की गई “प्यार की सीमाएं” कई किरदारों के जीवन को नष्ट कर देती।
  • बचपन और मासूमियत– एसथा और राहेल की बचपन की मासूम यादें और उनका टूटन The God Of Small Things को भावनात्मक रूप से मजबूत करती है। यह पुस्तक दिखाता है बचपन की घटनाएं जीवन भर याद रहती है।
  • राजनीतिक पृष्ठभूमि– केरल की वामपंथी राजनीति, कम्यूनिज़्म और सामाजिक असंतुलन का इस उपन्यास में अच्छे से चित्रण किया गया है।
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The God Of Small Things

लेखन शैली

अरुंधती रॉय की लेखनी कवितामय है। उनकी कहानी समय और स्थान की सीमाओं को तोड़ते हुए nonlinear narrative में आगे बढ़ती जो कहानी को रोमांचक बनाती है। The God Of Small Things की कहानी कभी वर्तमान में रहती है तो कभी अतीत में लौट जाती है जो कहानी को बांधे रहती है।

इसमें कई प्रतीकों का भी इस्तेमाल किया गया है जैसे “नदी” जो की निरंतर आगे बढ़ते रहने का प्रतीक है। “छोटे-छोटे पल” जैसे प्रतीक जिसका मतलब होता है उन मामूली घटनाओ से जिसका बड़ा असर होता है।

2025 में The God Of Small Things फिर से क्यों पढ़ी जा रही

  • जातीय और सामाजिक विमर्श की नई लहर– आज के युवाओं में जातिवाद, असमानता और जेंडर का बहस फिर पैदा हो रही है। इस उपन्यास मे इन सभी जटिल मुद्दों को बड़े ही मानवीय संवेदना के साथ प्रस्तुत किया गया है, जो की पाठकों को आत्ममंथन करने के लिए विवश करती है।
  • मूल्यहीनता और भावनात्मक ठहराव के बीच भावुकता की पुकार– इस तकनीक, व्यवसायिकता और संवेदनहीन होती जा रही भौतिकवादी दुनिया मे The God Of Small Things हमें वापस भावुकता, संवेदनशीलता और मानवता की राह दिखाती है।
  • फेमिनिज़्म और महिला सशक्तिकरण की दृष्टि– अम्मू का संघर्ष और सामाजिक बंधनों से निकलने की कोशिशें महिला सशक्तिकरण को उदाहरण के रूप में सामने लाती है।
  • दलित विमर्श का पुनर्पठ– वेलुथा का पात्र दलित संघर्ष, सामाजिक बहिष्कार और मानवीय गरिमा की पुनर्स्थापना का प्रतीक बनकर दलित विमर्श को सामने लाती है।
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समीक्षात्मक दृष्टिकोण

The God Of Small Things आपके सोचने का तरीका बदलती है। इस किताब की भाषा शैली कही-कही जटिल लाग सकती है लेकिन इसकी लाइनें अपने आप में ब्रह्मांड लिए हुए है। इस किताब में सीधे-सीधे नैतिक ज्ञान नहीं है, बल्कि यह पाठकों को सवालों से भर देती है।

निष्कर्ष

The God Of Small Things एक साहित्यिक धरोहर है। यह प्रेम, विरोध, वर्गभेद और असमानता का गहराई से वर्णन करती है। आज के समय में जहां समाज असमानताओ से घिरा हुआ है, उस माहौल मे यह पुस्तक आत्ममंथन करने के लिए मजबूर करती है।

इस बार “The God of Small Things” को सिर्फ पढ़िए नहीं, उसमें खुद को खोजिए – 2025 में इसे ज़रूर पढ़ें!

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